
नागरिकों के कर्तव्य केंद्रित होने से आगे बढ़ता है देश
किसी राष्ट्र के विकास और समाज की मज़बूती के लिए नागरिकों में कर्तव्य केंद्रित (डूटी सेंट्रिक) सोच का होना नितांत आवश्यक है। यदि हर व्यक्ति सिर्फ़ अधिकार की सोचेगा तो कर्तव्यों का पालन कैसे होगा। विकास के लिए कर्तव्य निर्वहन ज़रूरी अवश्य है। जापान इसका अच्छा उधारण है। अमेरिका के नाभिकीय हमले के बाद भी वहाँ नागरिकों ने कर्तव्य बोध को सर्वोपरि रखा। टोयोटा के निर्माता ने तय किया की मेरी कार अमेरिका की सड़कों पे चले और आख़िरकार टोयोटा वहाँ सर्वाधिक बिक्री वाली कार बनी। दक्षिण कोरिया भी इसका एक उधारण है।
शिक्षा में बदला माहौल
भारत के विकास में शिक्षा की अहम भूमिका है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों के लिए ऊँची साक्षरता दर प्राप्त करना आसान था, लेकिन हमारे यहाँ बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी विशाल जनसंख्या को साक्षर बना पाना सरल नहीं था। फिर भी सरकारों के प्रयास और नागरिकों की सोच से हमने यह कर दिखाया।
गाँव तक में विकास के उधारण
मेरे नाना मौलाना वहीदुद्दीन खान कहते देश में सबका विकास हो रहा है। हर परिवार में आपको इसके उधारण मिल जाएँगे। ग्रामीणों के बच्चे भी विदेश जाते हैं। उनके साथ जब मैं आज़मगढ़ में बढ़रिया गाँव गया, तो उन्होंने कहा देखो गाँव में पहले स्कूल नहीं था, अब स्कूल भी है और निजी स्कूल की बसें भी आती हैं। सड़के हैं, सुविधाएँ हैं।
नारी बढ़ी तो समाज बढ़ा
समाज की उन्नति में नारी सशक्तिकरण भी महत्वपूर्ण है। माता-पिता ने आगे बढ़कर बेटियों को पढ़ाया, सक्षम बनाया। आज पीएम नरेन्द्र मोदी का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ केवल एक अभियान नहीं है, वास्तविकता है समाज के बदलते सोच की। सेना में कॉम्बैट पोजीशन और स्थायी कमीशन इसके ताजा उधारण हैं।
युवा ले रहे निर्णेय
अंतरजातिय विवाह हो रहे हैं। युवा यह निर्णेय ले पा रहे हैं। लोगों के साक्षर होने से धारा बदलती है, साथ ही माता-पिता का विचारकर्म भी बदला है।
हम स्पिरिचूअल सुपरपावर
विभिन्न संप्रदायों, मान्यताओं के साथ भी हम हज़ारों वर्षों से अस्तित्व में हैं। इकनोमिक, मिलिट्री, और पोलिटिकल सूपरपावर वाले देश तो हमने कई देखे, लेकिन विश्व में स्पिरिचूअल सूपरपावर भारत ही है।
(महेश शुक्ल से बातचीत पर आधारित)