दुनिया की जरूरत है धार्मिक आजादी

दैनिक जागरण, नई दिल्‍ली, 19, July, 2019

अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता पर आयोजित मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के दूसरे दिन दुनियाभर में मानवाधिकायें और धार्मिक आजादी की दिशा में सक्रिव कई प्रमुख हस्तियों ने विचार रखे। इस दौरान समाज से भेदभाव मिटाने और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने पर चर्चा हई। 

दूसरे दिन सत्र की शुरुआत संयुक्त अरब अमीरात फतवा काउंसिल के प्रमुख मुफ्ती शेख अब्दुल्ला बिन बय्याह के संबोधन से हुई। उन्होंने कट्टरपंथ से मुक्त समाज निर्माण के लिए शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवा को जरूरी कड़ी बताया । उन्होंने कहा कि पैग़म्बर महम्मद ने किसी को अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक नहीं माना था। अगर आप सभी के लिए समान कानून रखेंगे, तो अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक के रूप में किसी को चिह्नित करने की जरूरत ही नहीं स्हेगी। प्रख्यात लेखक जोएल रोजनबर्ग ने इजरायल  का पक्ष रखते हुए कहा कि वहां यहूदी, मुस्लिम या ईसाई में कोई भेदभाव नहीं है । इजरायल में मुस्लिमों या ईसाइयों के उत्पीड़न का आरोप निराधार है, क्योंकि संसद, सेना, पुलिस और शिक्षा जगत हर जगह उनकी उपस्थिति है। उन्होंने कहा कि इजरायल  के सबसे बड़े बैंक की कमान एक अरब मुस्लिम को मिल चुकी है। रोजनबर्ग  ने कट्टरता  के ख़िलाफ़ अरब के  मस्लिमों के प्रयासों की भी सराहना की।

पैग़म्बर महम्मद ने किसी को अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक नहीं माना था।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कार्यववाहक राज्यपाल रूते हुए कटटरपंथियों की गोली का शिकार हुए सलमान तासीर के पुत्र ने कहा, ‘मेरे पिता उस वक्‍त कटटरपंथियों का शिकार हो गए, जब वह देश के गलत ईरशनिंदा कानून का विगेध कर रहे थे।’ चीन में उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न के खिलाफ संघर्षरत और फ्री इंडो-पैसिफिक अलायंस की प्रमुख रेबिया कदीर ने भारत से मदद की गृहार लगाई। उन्होंने कहा कि भारत ऐसा देश है जहां हजारों साल से अलग-अलग धर्म व संस्कृति के लोग खुशी से रह रहे हैं। हमारी घर वापसी में भारत मददगार हो सकता है।

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता इराक़ की मानवाधिकार कार्यकर्ता नादिया मुराद ने यजीदियों की मदद के लिए दुनियाभर की सरकारों से आगे आने की अपील की।कार्यक्रम के समापन सत्र को ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने संबोधित किया। उन्होंने धार्मिक आजादी की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘हम चौथी औद्योगिक क्रांति के मुहाने पर हैं। यहां शिक्षित और खुले विचार वाले आगे बढ़ेंगे। इतिहास गवाह है कि धार्मिक आधार पर उत्पीड़न से समाज हमेशा कमजोर होता है।