रमजान एक विशेष और पवित्र महीना

इस्लाम में रमज़ान एक विशेष और पवित्र महीना है। इसे संयम और इबादत का महीना बताया गया है। इस महीने में प्रत्येक मुस्लिम ‘रोज़ा’ यानी उपवास रखता है। रोज़े में वे भोर से पहले खाना-पानी छोड़ देता है, और फिर शाम में सूर्यास्त के बाद वे खाना-पानी का सेवन करता है, ऐसे वे निरंतर रमज़ान के तीस दिन तक करता है। रमज़ान का प्रथम उद्देश्य व्यक्ति की आध्यात्मिकता को जगाना और भौतिक वस्तुओं पर उसकी निर्भरता को कम करना है।

इस्लाम के अनुसार, मानव जीवन परीक्षण का समय है, व्यक्ति को इस दुनिया में परीक्षा के लिए भेजा गया है। इस परीक्षा में उसको स्वतंत्रता दी गयी जीवन जीने की, लेकिन ख़ुदा को व्यक्ति से अपेक्षित है, की वे एक स्व-नियंत्रित जीवन जिए, जिसका अर्थ है नकारात्मक सोच को समाप्त करना, स्वयं को अतिव्यय वाली जीवन शैली से बचाना और साथ ही समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की सहायता करना। रोज़ा इसी आत्म-नियंत्रण को प्राप्त करने का वार्षिक प्रशिक्षण है।

रोजा व्यक्ति को बुनियादी मानव आवश्यकताएं जैसे भूख और प्यास के बारे में सिखाता है। कुछ घंटों तक, अमीर भी उसी परिस्थितियों में रहने के लिए बाध्य होता है जिसमें एक गरीब व्यक्ति रहता है।

आत्म-नियंत्रित जीवन के लिए इंसान को धैर्य रखना आवश्यक है। रोज़ा व्यक्ति के अंदर धैर्य की भावना पैदा करता है। इसी कारण रमज़ान के महीने को हज़रत मुहम्मद साहब ने धैर्य का महीना भी बताया है। इस्लाम में कामयाब जीवन जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ धैर्य को ही बताया गया है। जैसे परीक्षा में एक जटिल सवाल का उत्तर ढूंडने के लिए धैर्य चाहिए उसी प्रकार से जीवन के जटिल प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए भी व्यक्ति को धैर्य की आवश्यकता होती है। हज़रत मुहम्मद साहब ने रमज़ान के महीने को सहानुभूति का महीना भी बताया है।

रोजा व्यक्ति को बुनियादी मानव आवश्यकताएं जैसे भूख और प्यास के बारे में सिखाता है। कुछ घंटों तक, अमीर व्यक्ति भी उन्हीं परिस्थितियों में रहने के लिए बाध्य होता है जिसमें एक गरीब व्यक्ति रहता है। इस प्रकार रमज़ान एक व्यक्ति की कायाकल्प की प्रक्रिया है। एक व्यक्ति जब सच्ची भावना से रोज़ा रखता है तो वे अपने जीवन में रमज़ान के बाद एक बड़ा परिवर्तन महसूस कर पाता है। उसके हृदय में किसी के लिए द्वेष नहीं रहता, वह दूसरों की भूख-प्यास का वैसे ही सम्मान करता है जैसा रोज़े में उसने स्वयं प्रतीत किया होता है। रमज़ान अगर एक संकल्प का महीना है तो इसके बाद के महीने इस संकल्प को जीना समय हैं।