नकारात्मक विचारों से बचें भलाई के लिए दुआ करें

यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि रमज़ान में खाने- पीने से परहेज का अर्थ केवल प्रतीकात्मक होता है। यह रोजे का एकमात्र उद्देश्य नहीं है। पैगंबर साहब ने एक बार कहा था, ‘जो झूठ से परहेज़ नहीं करता है, उसके बाद खुदा को उसके खाने-पीने से परहेज़ करने की आवश्यकता नहीं है।’ जब कोई व्यक्ति रोजे का पालन करता है, तो उसे इस बात पर चिंतन करना चाहिए कि इस एक महीने से खुदा हमसे क्‍या चाहता है। रोजे का अर्थ है स्वयं को अनैतिकता से बचाना।

आपको यह भी सोचना होगा कि रमज़ान का प्रतीकात्मक पहलू क्या है या उपवास की वास्तविक भावना का सार क्या है।

परहेज़ केवल खाना-पीना छोड़ना नहीं है, बल्कि इस परहेज़ की सूची में नकारात्मक सोच को छोड़ना भी शामिल है। स्वयं को हर किस्म की नकारात्मक भावना में शामिल होने से बचाना रोजा है। एक ओर, आप भोजन और पानी से परहेज़ करते हैं, तो दूसरी ओर आपको यह भी सोचना होगा कि रमज़ान का प्रतीकात्मक पहलू क्या है या उपवास की वास्तविक भावना का सार क्या है। रमज़ान समाप्त होने में अब कुछ दिन रह गए हैं, हम सब को यह कोशिश करनी है कि हम इस महीने के एक-एक दिन को अपने समस्त जीवन में अपनाएं। यह विचार प्रक्रिया जारी रहे, यही सफल रोजेदार की निशानी है। इन आखिर के दिनों में हमें खुदा से ना सिर्फ अपने लिए बल्कि सभी इंसानों की भलाई की दुआ करनी है।