अपने फायदे के लिए मजहब को गलत तरीके से न करें पेश
दैनिक जागरण, नई दिल्ली, 08 February, 2018
दुनिया में प्रेम, सद्भाव और शांति कायम करने के प्रयासों के तहत अमेरिका के वाशिंगटन में आयोजित एक सम्मेलन में विचारकों ने धर्म को सही तरह समझने और अपने फायदे के लिए इसके गलत इस्तेमाल को रोकने पर जोर दिया।
फोरम फॉर प्रमोटिंग पीस इन मुस्लिम सोसाइटी के अध्यक्ष और प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान शेख अब्दुल्लाह बिन बयाह ने कहा कि हम निराशा के बजाय आशा, हिंसा के बजाय दया, बर्बरता की जगह मानवता को बढ़ावा देने के लिए यहां जमा हुए हैं। उन्होंने कहा कि धर्म हिंसा के कारणों में से एक है। इसलिए धर्मगुरुओं की यह जिम्मेदारी है कि वे बताएं कि कोई भी धर्म हिंसा को मंजूरी नहीं देता।
बयाह ने यह भी कहा कि जो लोग धर्म को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं, वे ऐसा सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए करते हैं।
अगर आदमी के दिल में प्यार है तो घर में भी शांति रहती है, अगर घर में शांति रहती है तो शहर शांत रहता है और अगर शहर शांत रहेंगे तो दुनिया में भी शांति कायम रहेगी।
-रामिश सिद्दीकी, भारतीय लेखक
सम्मेलन में हिस्सा ले रहे फिनलैंड के विदेश मंत्री टिमो सोनी ने कहा कि धर्म से हर किसी के जीवन का कोई भी पहलू अछूता नहीं होता है। धर्म मानने की स्वतंत्रता सभी के लिए है. लेकिन बिना जिम्मेदारी के स्वतंत्रता कायम नहीं रह सकती है। यदि धर्म समस्या का हिस्सा है तो निश्चित रूप से यह समाधान का जरिया भी होगा। इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम के एंबेसडर सैम ब्राउनबैक ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने शांति स्थापित करने के इस प्रयास की सराहना की। बकौल ब्राउनबैक, आज दुनिया में शांति कायम रखने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता जरूरी है। इसकी अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में धार्मिक आजादी का मसला सबसे ज्यादा चर्चित विषय है। उन्होंने कहा कि सभी को यह समझना होगा कि शांति से ही विश्व की समृद्धि संभव है। हिंसा तो सिर्फ और सिर्फ विनाश की ओर ले जाता है।
मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डॉ. मोहम्मद अब्दुल करीम अल इसा ने सम्मेलन में कहा, नफरत के रास्ते पर चलकर आज तक कोई विजेता नहीं बन पाया है। एक न एक दिन उसे मुंह की ही खानी पड़ी है। सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे लेखक रामिश सिद्दीकी ने कहा, धर्म हमें प्रेम, सदभाव के साथ रहना और एक-दूसरे का सम्मान करना सिखाता है। दुनिया में किसी भी धर्म की स्थापना नफरत के आधार पर नहीं हुई है। इसलिए सभी धर्मों का सम्मान जरूरी है। बता दें कि पांच से सात फरवरी तक चले सम्मेलन में विभिन्न धर्मों के वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। इसका आयोजन संयुक्त अरब अमीरात स्थित संगठन फोरम फॉर प्रमोटिंग पीस ने किया।