समावेशी शासन हो प्राथमिकता

भारतीय संसद ने हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पारित किया, जिसे “उम्मीद” नाम दिया गया है। इस क़ानून को लाने का उद्देश्य भारत में वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार बताया गया। नए कानून का उद्देश्य वक़्फ़ प्रशासन को आधुनिक बनाना, इस में पारदर्शिता लाना और लाखों एकड़ों में फैली वक्फ संपत्तियों की देखरेख में लंबे समय से चली आ रही अक्षमताओं को दूर करना है। हालांकि, इस कानून को विभिन्न मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है, जो इस क़ानून को अल्पसंख्यक मामलों में सरकार का अतिक्रमण मानते हैं। सरकार को इस कानून की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए समावेशी शासन और जनविश्वास को प्राथमिकता देनी चाहिए।

इतिहास से पता चलता है कि भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले भी, वक्फ संपत्तियां अक्सर विभिन्न विवादों में उलझी रहती थीं। लेकिन आज़ादी के बाद इनमें और अधिक बढ़ोतरी देखने को मिली। कुछ विवाद उन संपत्तियों से उत्पन्न हुए जिन पर वक्फ का दावा था, जबकि अन्य विवाद वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे और बिक्री से उत्पन्न हुए। जो लोग वक़्फ़ संपत्तियों के साथ किसी भी रूप में जुड़े रहे हैं, वे यह भली भांति जानते हैं कि इन संपत्तियों का लाभ भारतीय मुस्लिम समाज के बड़े हिस्से तक नहीं पहुँचा।

वक्फ एक इस्लामिक परंपरा है, जिसने इस्लामिक सभ्यताओं में सामाजिक आर्थिक और शहरी परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

वक्फ, एक इस्लामिक परंपरा है, जिसने इस्लामिक सभ्यताओं में सामाजिक, आर्थिक और शहरी परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वक़्फ़ ने धार्मिक संस्थाओं से लेकर सामाजिक संस्थाओं दोनों का समर्थन करते हुए कल्याणकारी प्रावधान की आधारशिला के रूप में काम किया। अलग-अलग समय और स्थानों में वक़्फ़ की अद्भुत अनुकूलनशीलता इसे एक दीर्घकालिक विचार के रूप में दर्शाती है, जिसने व्यक्ति की आस्था और सामाजिक ज़िम्मेदारियों दोनों के बीच पुल का कार्य किया।

इस कानून की आलोचना करने वालों का मानना है कि वक़्फ़ संपत्तियों पर मुस्लिमों के अधिकार को कमजोर कर सकता है, जबकि समर्थकों का तर्क है कि यह वक़्फ़ में कुप्रबंधन और अतिक्रमण को रोकने में सहायक होगा। हालांकि, दोनों दृष्टिकोणों के सामने चुनौतियां हैं। सबसे पहले, नए क़ानून के आलोचकों से हमारा प्रश्न है कि क्या आम मुस्लिम मुसलमानों का इन वक्फ संपत्तियों पर कोई नियंत्रण था, या यह सिर्फ़ समुदाय के कुछ चुनिंदा लोगों के पास ही हमेशा रही? दूसरे, वे लोग जो दावा करते हैं कि नए क़ानून से कुप्रबंधन और अतिक्रमण खत्म होगा, उनसे मेरा सवाल है कि भारत में कई कानून हैं लेकिन क्या कहीं भी भूमि अतिक्रमण पूरी तरह से समाप्त हो पाया?

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने एक बार कहा था की संविधान केवल राज्य की संस्थाओं जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना प्रदान कर सकता है। लेकिन इन संस्थाओं की वास्तविक क्षमता जिन कारकों पर निर्भर करती है, वे हैं — जनता और राजनीतिक दल।। नए वक़्फ़ कानून की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि सरकार भरोसे की कमी को कैसे दूर करेगी, इसे निष्पक्ष तरीके से कैसे लागू करेगी।